मौसम की तरह रंग बदलती है दोस्ती

अमिताभ दीक्षित ,लिटरेरी एडिटर-ICN
मौसम की तरह रंग बदलती है दोस्ती।   
कुछ ठोकरें खाकर ही संभलती है दोस्ती ।।
 
आग़ाज-ओ-अंजाम के चेहरे लिए हुए।
हर एक तमन्ना पे मचलती है दोस्ती।।
 
रुसवाइयां बहुत हैं किसका यकीं करें।
ग़फलत की शक्ल ले के पिघलती है दोस्ती।।
 
रंजिश की बस्तियों में इक घर बसा लिया।
शम्मा की तरह रोज़ ही जलती है दोस्ती।।
 
बन जाती ज़िन्दगी है ज़िन्दादिली का नाम।
राह-ए-वफा पे जब भी निकलती है दोस्ती।।

Related posts